नहीं चाहिए प्यार
मुझे नहीं चाहिए प्यार!
देना हो तो दे दो तुम अपने आंसू दो-चार।
मुझे नहीं चाहिए प्यार...
कौन है अपना,कौन पराया
कुछ भी समझ नहीं पाया
एक सत्य है यहाँ बिछुड़ना
कौन यहाँ मिलने आया
दर्दों से ही कर लूँगा मैं जीवन का श्रृंगार।
मुझे नहीं चाहिए प्यार!
मैं न जानूँ रूप-कुरूप
गर दिल मिल जाए अनुरूप
मुझको तो आगे बढ़ना है
सावन हो या जलती धूप
जीत मिले तुमको जीवन में दे दो अपनी हार।
मुझे नहीं चाहिए प्यार!
***
देना हो तो दे दो तुम अपने आंसू दो-चार।
मुझे नहीं चाहिए प्यार...
कौन है अपना,कौन पराया
कुछ भी समझ नहीं पाया
एक सत्य है यहाँ बिछुड़ना
कौन यहाँ मिलने आया
दर्दों से ही कर लूँगा मैं जीवन का श्रृंगार।
मुझे नहीं चाहिए प्यार!
मैं न जानूँ रूप-कुरूप
गर दिल मिल जाए अनुरूप
मुझको तो आगे बढ़ना है
सावन हो या जलती धूप
जीत मिले तुमको जीवन में दे दो अपनी हार।
मुझे नहीं चाहिए प्यार!
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वाह ! वाह !लक्ष्मी कान्त जी ब्लॉग पर बहुत बहुत स्वागत है !
जवाब देंहटाएंआपकी गजलों के क्या कहने ,बेहद समवेदन शील !
बहुत बहुत बधाई हो !
वाह ! वाह !लक्ष्मी कान्त जी ब्लॉग पर बहुत बहुत स्वागत है !
जवाब देंहटाएंआपकी गजलों के क्या कहने ,बेहद समवेदन शील !
बहुत बहुत बधाई हो !