मिले भी तो नज़रें झुकाये मिले
कोई राज़ दिल में छुपाये मिले
बढ़ा दीं मेरी और बेचैनियां
लबों पर तबस्सुम सजाए मिले
न जाने मैं किस शहर में आ गया
न अपने मिले न पराए मिले
हुईं कोशिशें भूलने की मगर
ख़यालों पे अक्सर वो छाए मिले
हसीं और आंसू का संगम रहा
ख़ुशी पर ग़मों के भी साये मिले
ख़यालों पे अक्सर वो छाए मिले !!!
जवाब देंहटाएंvo koun hai jo aapki gazlon ko sjati hai ! sundr rchna badhai !